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गौरैया की संख्या क्यों घट रही है?

 गौरैया की संख्या क्यों घट रही है?

 

 गौरैया की संख्या घटने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं, जो पर्यावरणीय, सामाजिक और मानवजनित गतिविधियों से जुड़े हुए हैं।

आवास की कमी: 

शहरों के विस्तार के कारण पेड़-पौधों की संख्या में कमी आई है, जिससे गौरैया के घोंसले बनाने के लिए सुरक्षित स्थान नहीं मिल पा रहे हैं। पुराने मकानों की जगह आधुनिक इमारतें बन रही हैं, जिनमें गौरैया के लिए घोंसला बनाने के स्थान नहीं होते। साथ ही, वृक्षों की कटाई और प्राकृतिक आवासों के नष्ट होने से गौरैया के रहने और प्रजनन के लिए उपयुक्त जगहें कम हो रही हैं।

खाद्य स्रोतों की कमी: 

खेतों और बागानों में कीटनाशकों का बढ़ता हुआ उपयोग कीड़ों को मार देता है, जो गौरैया का प्रमुख भोजन होते हैं। इसके अलावा, ये रसायन गौरैया के लिए भी हानिकारक हो सकते हैं। आधुनिक फास्ट फूड संस्कृति के कारण लोग अनाज और बीज कम उपयोग कर रहे हैं, जिससे गौरैया के लिए भोजन की कमी हो रही है।

प्रदूषण: 

वायु प्रदूषण से गौरैया के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। धूल और धुएं के कारण गौरैया को सांस लेने में दिक्कत होती है, जिससे उनकी संख्या घट रही है। तेज़ आवाज़ और शोर-शराबे वाले इलाकों में गौरैया घोंसला बनाने से बचती हैं। ध्वनि प्रदूषण उनके जीवन चक्र को बाधित कर सकता है।

मोबाइल टॉवर और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन: 

मोबाइल टॉवरों से निकलने वाली रेडिएशन का भी गौरैया की संख्या पर बुरा प्रभाव पड़ा है। कुछ शोध बताते हैं कि इन रेडिएशन से गौरैया की नेविगेशन और प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है।

पानी की कमी: 

शहरों में प्राकृतिक जल स्रोतों की कमी से गौरैया को पीने के लिए पानी नहीं मिलता। गर्मियों में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है, जिससे गौरैया की मृत्यु दर बढ़ जाती है।

प्राकृतिक दुश्मनों का बढ़ना: 

शहरों में बिल्लियों, कौवों, और शिकारी पक्षियों की संख्या में वृद्धि हुई है, जो गौरैया के अंडों और चूजों का शिकार करते हैं।

मानवीय गतिविधियाँ: 

आधुनिक निर्माण में खुले स्थानों और खिड़कियों की संख्या कम होती जा रही है, जिससे गौरैया के घोंसला बनाने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं मिलते। परंपरागत कृषि प्रणाली से हटकर आधुनिक कृषि प्रणाली अपनाने से गौरैया के खाद्य स्रोतों में कमी आई है।

गौरैया की घटती संख्या एक गंभीर पर्यावरणीय चिंता का विषय है। इसके पीछे मुख्यतः मानवजनित गतिविधियाँ जिम्मेदार हैं, जैसे कि शहरीकरण, प्रदूषण, और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग। हमें इन कारणों को समझकर और उनके समाधान के लिए सामूहिक प्रयास करके गौरैया के संरक्षण की दिशा में काम करना चाहिए।

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