मौर्य साम्राज्य
मौर्य साम्राज्य भारत का सबसे पहला महान साम्राज्य है। इसमें चंद्रगुप्त, बिंदुसार और अशोक जैसे महान शासक हुए। सबसे पहले जानते हैं उन लेखों के बारे में जो मौर्य वंश की जानकारी हैं :
इस वंश के प्रारंभ की जानकारी विभिन्न लेखों से मिलती है जिनमे सर्वाधिक महत्वपूर्ण चाणक्य का अर्थशास्त्र है जैन ग्रंथों में भद्रबाहु का कल्पसूत्र और हेमचंद्र का परिशिष्ट परवाण इसकी।
बौद्ध ग्रंथों में दीपवंश, महाटीका व महाबोधिवंश
ब्राम्हण साहित्य मेंविशाखदत्त का मुद्राराक्षस, सोमदेव का कथासरित्सागर और पतंजलि का महाभाष्य।
ब्राम्हण साहित्य मेंविशाखदत्त का मुद्राराक्षस, सोमदेव का कथासरित्सागर और पतंजलि का महाभाष्य।
यूनानी लेखकों में प्लिनी, प्लूटार्क , स्ट्रेबो , जस्टिन , डिओडोरस इत्यादि ने इस वंश का यूनानी लेखों में वर्णन किया है।
सबसे पहले विलियम जोंस ने सैंड्रोकॉटोस की पहचान चंद्रगुप्त मौर्य से की।
चंद्रगुप्त, बिंदुसार और अशोक जैसे राजा वंश की महानता के द्योतक हैं, इनसे सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी निम्नलिखित है :
चंद्रगुप्त, बिंदुसार और अशोक जैसे राजा वंश की महानता के द्योतक हैं, इनसे सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी निम्नलिखित है :
चंद्रगुप्त मौर्य 321 ई० पू० - 321 ई० पू०
- चंद्रगुप्त मौर्या ने गुरु चाणक्य की सहायता से अंतिम नंद शासक धनानंद की हत्या कर 25 वर्ष की आयु में मौर्य साम्राज्य की स्थापना की।
- प्लूटार्क के लेखों के अनुसार उसने लगभग छह लाख सैनिकों को लेकर संपूर्ण भारत को रौंद डाला था और अपना अधिकार स्थापित किया था।
- चंद्रगुप्त मौर्य ने 305 ई० पू० उस समय के यूनानी शासक सेल्यूकस निकेटर को हराया। इसके बाद सेल्यूकस ने अपनी पुत्री हेलेना का विवाह चंद्रगुप्त मौर्य से कर दिया।
- तत्पश्चात संधि होने पर सेल्यूकस निकेटर ने चंद्रगुप्त मौर्य से 500 हाथी उपहार लिए और बदले में आरिया, आराकोशिए जेड्रोसिए और पैरोंपेनिसडाई नाम के 4 क्षेत्रों को दिया।
- चंद्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य ईरान से बंगाल व कश्मीर से मैसूर तक फैला था।
- तमिल ग्रंथ अन्नानूर और मुन्नानूर उसकी दक्षिण विजय की जानकारी देते हैं।
- सेल्यूकस ने अपने राजदूत मेगास्थनीज को चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा था।
- जीवन के अंतिम पड़ाव में चंद्रगुप्त मौर्य ने जैन मुनि भद्रबाहु से दीक्षा ली व 298 ई० पू० सल्लेखना से श्रवणबेलगोला में प्राण त्याग दिए।
- जैन धर्म ग्रंथों के अनुसार मगध उसके शासन के अंत में मगध में 12 वर्ष का अकाल पड़ा था।
- रुद्रदामन के अभिलेख के अनुसार सुदर्शन झील का निर्माण चंद्रगुप्त ने ही करवाया था।
बिंदुसार 298 ई० पू० - 273 ई० पू०
- चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु के बाद उसका पुत्र बिंदुसार राजगद्दी पर बैठा .
- यूनानी लेखकों ने उसे अमित्रोचेट्स कहा जिसका संस्कृत रूपांतरण अमित्रघात होता है अर्थात शत्रु का नाश करने वाला होता है।
- बिंदुसार ने दक्षिण भारत के प्रमुख क्षेत्रों को अपने साम्राज्य में मिला लिया था।
- इसकी पत्नी सुभद्रांगी ( अशोकवादन के अनुसार ) थी।
- महावंश के अनुसार बिन्दुसार सम्राट अशोका, सुशीन और विताशोक के साथ साथ 102 पुत्रों का पिता था।
- इस के शासनकाल में तक्षशिला में दो बार विद्रोह हुआ, जिसे क्रमशः अशोक और सुशीन ने दमन किया। कालांतर में बिंदुसार ने अशोक को उज्जैनी का राज्यपाल नियुक्त किया।
- यूनानी शासक एनटीओकस ने अपने राजदूत डाईमेकस को बिंदुसार के दरबार में भेजा।
- डायमेक्स को मेगास्थनीज का उत्तराधिकारी माना जाता है।
- बिंदुसार ने एनटीओकस से मदिरा, सूखे अंजीर और एक दार्शनिक भेजने की प्रार्थना की।
- मिस्र के राजा फिलाडेल्फिस ने पटलिपुत्र में डायनोसिस नाम के राजपूत को भेजा।
- बिंदुसार आजीवक संप्रदाय का अनुयाई था।
- आर्यमंजुश्री मूल कल्प के अनुसार बिंदुसार के राज्य का संचालन चाणक्य किया करते थे।
- 273 ई० पू० बिंदुसार की मृत्यु हो गई।
अशोक 273 ई० पू० - 232 ई० पू०
- जैन अनुश्रुतियों के अनुसार अशोक ने बिंदुसार के विरुद्ध मगध का शासन अपने अधिकार में ले लिया था।
- सिंहली ग्रंथों के अनुसार अपने 99 भाइयों को मारकर वह राजा बना था।
- महाबोधिवंश और तारानाथ के अनुसार अशोक ने 268 ई० पू० अपना राज्य अभिषेक कराया तथा इसके बाद 4 वर्ष तक सत्ता का संघर्ष चलता रहा।
- राज्याभिषेक से पूर्व वह उज्जैनी का राज्यपाल था।
- कल्हण की राजतरंगिणी के अनुसार अशोक शिव का उपासक था।
- उसने वितस्ता अर्थात झेलम नदी के किनारे श्रीनगर स्थापित किया।
- उसने तमिल प्रदेशों के अलावा संपूर्ण भारत और अफगानिस्तान को अपने राज्य में मिला चुका था।
- राज्याभिषेक के 8 वर्ष बाद 261 ई० पू० में अशोक ने कलिंग पर हमला किया इस हमले में लगभग 1 लाख लोग से अधिक मारे गए और लगभग डेढ़ लाख बंदी बनाए गए।
- कलिंग के हाथीगुंफा लेख से पता चलता है कि उस पर नंद राज्य का शासन था।
- कलिंग युद्ध के नरसंहार से अशोक विचलित हो गया और हथियार त्याग कर बौद्ध धर्म को अपनाया।
- शोक को उपगुप्त ने बौद्ध धर्म में दीक्षित किया था इसके पश्चात वह आजीवक संप्रदाय के मोगलीपुत्तीस के संपर्क में आया।
- अभिलेखों से पता चलता है कि राज्याभिषेक के पश्चात् अशोक 10वें. वर्ष बोधगया, 12 वें वर्ष निगलीसागर, 20 वें वर्ष लुम्बिनी में रहा।
- अशोक ने बराव र की पहाड़ियों में आजीवकों के लिए तीन गुफाओं का निर्माण कराया, जिनके नाम निम्नलिखित हैं
- कर्ण चौपड़
- सुदामा व
- विश्व झोपड़ी
- अशोक ने अपनी प्रजा को अभिलेखों से संबंधित संबोधित किया इसकी प्रेरणा उसे ईरानी शासक डेरियस (दारा १ ) से मिली।
- अशोक ने अपने अभिलेख अलग-अलग लिपि में लिपिबद्ध कराएं इनमें खरोष्ठी, आर्मी, यूनानी तथा ब्राह्मी प्रमुख है.
- इन अभिलेखों को सर्वप्रथम 1837 में जेम्स प्रिंसेप में सफलतापूर्वक पढ़ा था।
- बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए विभिन्न स्थानों पर अशोक ने अपने प्रचारक भेजें :
- महादेव - मैसूर
- मज्झंतिक - कश्मीर व गांधार
- महाधर्मरक्षित - महाराष्ट्र
- धर्मरक्षित - अपरान्तक
- महेंद्र व संघमित्रा - श्रीलंका
- महारक्षक - युवराज
- मज्झिम - हिमालय
- सोना उत्तरा - सुवर्णभूमि
- उसके अभिलेखों में उसे सर्वदेवनंपियदसि कहा गया है।
- अशोक द्वारा धम्म की दी हुई परिभाषा रहुलोविदसुत से लिया गया है।
- अशोक के बाद लगभग 50 वर्ष तक उसके उत्तराधिकारी यों ने कमजोर शासन किया :
- दशरथ 232 से 234 ई० पू०
- संप्रति 224 से 215 ई० पू०
- शालिशुक 215 से 202 ई० पू०
- देववर्मन 202 से 195 ई० पू०
- शतधन्वन 195 से 187 ई० पू०
- बृहदत्त 187 से 180 ई० पू०
- अधिकांश लोग कुणाल को अशोक का उत्तराधिकारी मानते थे।
- उसने 8 वर्ष तक शासन किया इस वंश का अंतिम शासक बृहदत्त था जिसकी दुर्बलता का फायदा उठाकर उसी के ब्राह्मण सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने 180 ईसा पूर्व हत्या कर दी और शुंग वंश की नींव रखी।
मौर्या वंश के लेक्चर के लिए निचे दिए हुए वीडियो लिंक पर क्लिक करें :
PDF के लिये इस लिंक पर क्लिक करें ----> Maurya Dynasty .PDF
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